विपरीत परिस्थितियों के बाद भी प्रह्लाद ने भक्ति मार्ग नहीं छोड़ा
संभल, फरवरी 14 -- सीता रोड स्थित गीता सत्संग भवन में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास वीरेश रामायणी ने भगवान श्रीहरि के वराह अवतार, कपिल अवतार एवं नृसिंह अवतार, सती प्रसंग, जड़ भरत चरित्र, परम भक्त ध्रुव एवं प्रह्लाद के चरित्र का मनोहारी वर्णन किया। कथा व्यास ने कहा कि मनु और शतरूपा के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हुईं। पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उत्तानपाद। राजा उत्तानपाद की दो रानियां थीं। एक का नाम सुरुचि और दूसरी का नाम सुनीति था। राजा सुरुचि को अधिक प्यार करते थे। उनके पुत्र का नाम उत्तम और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था। बालक ध्रुव एक बार पिता की गोद में बैठने की जिद करने लगता है, लेकिन सुरुचि उसे पिता की गोद में बैठने नहीं देती है। ध्रुव रोता हुआ मां सुनीति को सारी बात बताता है। मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह ध्रुव को ...
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