नई दिल्ली, फरवरी 11 -- हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी। अंग्रेज फूट डालने की कोशिश करते रहे लेकिन वे लाठी मारकर पानी को अलग ना कर सके। जब मुसलमान आजादी के दीवानों की बात आती है तो हकीम अजमल खान का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। भारत में भले ही उनको कम याद किया जाता हो लेकिन पूरे पाकिस्तान में आज भी उनके नाम पर दवाखाने चलते हैं। उन्हें मसीहा-ए-हिंद भी कहा जाता है। हकीम अजमल खान कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। बीबीसी में एक सरकारी वेबसाइट के हवाले से बताया गया कि वह हिंदू महासभा के भी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।  हकीम अजमल खान ना केवल आजादी के मतवाले थे बल्कि एक नामी हकीम और लेक्चरर भी थे। उन्होंने खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया तो वहीं असहयोग आंदोलन का भी हिस्सा रहे। बताया जाता है कि वह रोज सुबह करीब 200 मरीजों को ...